मेरे साथ कंप्यूटर सीखें वो भी हिंदी में कुछ अध्यायों में -:
अध्याय -१
कम्पयूटर से परिचय
कंप्यूटर के जन्मदाता चार्ल्स बैवेज थे जिन्होंने कंप्यूटर जैसी महान और उपयोगी मशीन को हमारे बीच लाये।
कम्प्यूटर एक इलैक्ट्रोनिक डिवाइस है । जो इनपुट के माध्यम से आंकडो को ग्रहण करता है उन्हे प्रोसेस करता है एवं सूचनाओ को निर्धारित स्थान पर स्टोर करता है ! कम्पयूटर एक क्रमादेश्य मशीन है । कम्पयूटर की निम्नलिखित विशेषताएँ है ।
1)कम्पयूटर विशिष्ठ निर्देशो को सुपरिभाषित ढंग से प्रतिवाधित करता है ।
2)यह पहले संचित निर्देशो को क्रियान्वित करता है ।
वर्तमान के कम्पयूटर इलेक्ट्रानिक और डिजिटल है । इनमे मुख्य रूप से तार ट्रांजिस्टर एवं सर्किट का उपयोग किया जाता है । जिसे हार्डवेयर कहा जाता है । निर्देश एवं डेटा को साफ्टवेयर कहा जाता है । कम्प्यूटर अपने काम-काज, प्रयोजन या उद्देश्य तथा रूप-आकार के आधार पर विभिन्न प्रकार के होते हैं। वस्तुतः इनका सीधे-सीधे अर्थात प्रत्यक्षतः (Direct) वर्गीकरण करना कठिन है, इसलिए इन्हें हम निम्नलिखित तीन आधारों पर वर्गीकृत करते हैं :
1. अनुप्रयोग (Application )
2. उद्देश्य (Purpose )
3. आकार (Size)
1. अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार हलाकि कम्प्यूटर के अनेक अनुप्रयोग हैं जिनमे से तीन अनुप्रयोगों के आधार पर कम्प्यूटरों के तीन प्रकार होते हैं : (a) एनालॉग कम्प्यूटर
(b ) डिजिटल कम्प्यूटर (c) हाईब्रिड कम्प्यूटर
2. कार्य के के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार कम्प्यूटर को दो उद्देश्यों के लिए हम स्थापित कर सकते हैं- सामान्य और विशिष्ट , इस प्रकार कम्प्यूटर उद्देश्य के आधार पर निम्न दो प्रकार के होते हैं : (a ) सामान्य-उद्देशीय कम्प्यूटर (b ) विशिष्ट -उद्देशीय कम्प्यूटर
3. आकार के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं – 1. माइक्रो कम्प्यूटर
2. वर्कस्टेशन 3. मिनी कम्प्यूटर
4. मेनफ्रेम कम्प्यूटर
5. सुपर कम्प्यूटर
इतना जानने के बाद अब हम जानेंगे पर्सनल कंप्यूटर के बारे में -:
दोस्तों पर्सनल कंप्यूटर एक ऐसा कंप्यूटर है जिसे हम अपने इस्तेमाल में अपने पास अपने इस्तेमाल के लिए प्रयोग करते हैं
पर्सनल कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर समानार्थक से जाने वाले वैसे कम्प्यूटर प्रणाली है जो विशेष रूप से व्यक्तिगत अथवा छोटे समूह के द्वारा प्रयोग मे लाए जाते हैं। इन कम्प्यूटरों को बनाने में माइक्रोप्रोसेसर मुख्य रूप से सहायक होते है । पर्सनल कम्प्यूटर निर्माण विशेष क्षेत्र तथा कार्य को ध्यान में रखकर किया जाता है। उदाहरणार्थ- घरेलू कम्प्यूटर तथा कार्यालय में प्रयोगकिये जाने वाले कम्प्यूटर। बजारमें, छोटे स्तर की कम्पनियों अपने कार्यालयों के कार्य के लिए पर्सनल कम्प्यूटर को प्राथमिकता देते हैं। पर्सनल कम्प्यूटर के मुख्य कार्यो में क्रीड़ा-खेलना, इन्टरनेट का प्रयोग , शब्द-प्रक्रिया इत्यादि शामिल हैं। पर्सनल कम्प्यूटर के कुछ व्यवसायिक कार्य निम्नलिखित हैं-
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1. कम्प्यूटर सहायक रूपरेखा तथा निर्माण 2. इन्वेन्ट्री तथा प्रोडक्शन कन्ट्रोल 3. स्प्रेडशीट कार्य 4. अकाउन्टिंग 5. सॉफ्टवेयर निर्माण 6. वेबसाइट डिजाइनिंग तथा निर्माण 7. सांख्यिकी गणना
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पर्सनल कम्प्यूटर का मुख्य भाग माइक्रोप्रोसेसर वह चीप होती जीस पर कंट्रोल यूनिट और ए. एल. यू. एक परिपथ होता है। माइक्रोप्रोसेसर चिप तथा अन्य डिवाइस एक इकाई में लगे रहते है, जिसे सिस्टम यूनिट कहते है। पी,सी. में एक सिस्टम यूनिट, एक मनिटर या स्क्रीन एक की बोर्ड एक माउस और अन्य आवश्यक डिवाइसेज, जैसे प्रिंटर, मॉडेम, स्पीकर, स्कैनर, प्लॉटर , ग्राफिक टेबलेट , लाइच पेन आदि होते हैं।
पर्सनल कम्प्यूटर का मूल सिद्धान्त पी.सी एक प्रणाली है जिसमें डाटा और निर्देशों को इनपुट डिवाइस के माध्यम से स्वीकार किया जाता है। इस इनपुट किये गये डाटा व निर्देशों को आगे सिस्टम यूनिट में पहुँचाया जाता है, जहाँ निर्देशों के अनुसार सी. पी. यू. डाटा पर क्रिया या प्रोसेसिंग का कार्य करता है और परिचय को आउटपुट यूनिट मॉनीटर या स्क्रीन पर भेज देता है। यह प्राप्त परिणाम आउटपुट कहलाता है। पी. सी में इनपुट यूनिट में प्रायः की-बोर्ड और माउस काम आते है जबकि आउटपुट यूनिट के रूप में मॉनिटर और प्रिटर काम आते हैं।
जानेंगे कम्प्यूटर के पीढ़ी की सुरुआत कब हुई ?
कम्प्यूटर यथार्थ मे एक
आश्चर्यजनक मशीन है। कम्प्यूटर को
विभिन्न पीढ़ी मे वर्गीकृत किया
गया है। समय
अवधि के अनुसार
कम्प्यूटर का वर्गीकरण नीचे
दिया गया है।
प्रथम पीढ़ी के
कम्प्यूटर ( 1945 से 1956)
द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर (1956 से 1963)
तृतीय पीढ़ी के
कम्प्यूटर (1964 से 1971)
चतुर्थ पीढ़ी के
कम्प्यूटर(1971 से वर्तमान)
पंचम पीढ़ी के
कम्प्यूटर (वर्तमान से वर्तमान के
उपरांत)
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर ( 1945 से 1956)
सन् 1946 मे पेनिसलवेनिया विश्वविधालय के
दो ईंजिनियर जिनका
नाम प्रोफेसर इक्रर्टऔर जॉन
था। उन्होने प्रथम
डिजिटल कम्प्यूटर का
निर्माण किया। जिसमे उन्होने वैक्यूम ट्यूब
का उपयोग किया
था। उन्होने अपने
नए
खोज का नाम
इनिक(ENIAC) रखा था। इस
कम्प्यूटर मे लगभग 18,000 वैक्यूम ट्यूब
, 70,000 रजिस्टर और
लगभग पांच मिलियन
जोड़ थे ।
यह कम्प्यूटर एक
बहुत भारी मशीन
के समान था
। जिसे चलाने
के लिए लगभग
160 किलो
वाट विद्युत उर्जा
की आवशयकता होती
थी।
द्वितीय पीढी के कम्प्यूटर ( 1956 से 1963 )
सन् 1948 मे ट्रांजिस्टर की
खोज ने कम्प्यूटर के
विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका
अदा की ।
अब वैक्यूम ट्यूब
का स्थान ट्रांजिस्टर ने
ले लिया जिसका
उपयोग रेडियो ,टेलिविजन , कम्प्यूटर आदि
बनाने मे किया
जाने लगा ।
जिसका परिणाम यह
हुआ कि मशीनो
का आकार छोटा
हो गया ।
कम्प्यूटर के निर्माण मे
ट्रांजिस्टर के उपयोग से
कम्प्यूटर अधिक उर्जा दक्ष
,तीव्र एवं अधिक
विश्वसनिय हो गया ।
इस पीढी के
कम्प्यूटर महंगे थे ।
द्वितीय पीढी के कम्प्यूटर मे
मशीन लेंग्वेज़ को
एसेम्बली लेंग्वेज़ के द्वारा प्रतिस्थापित कर
दिया गया ।
एसेम्बली लेंग्वेज़ मे कठिन बायनरी
कोड की जगह
संक्षिप्त प्रोग्रामिंग कोड लिखे जाते
थे ।
तृतिय पीढी के कम्प्यूटर (1964 से 1975)
यद्यपि वैक्यूम ट्यूब
का स्थान ट्रांजिस्टर ने
ले लिया था
परंतु इसके उपयोग
से बहुत अधिक
मात्रा मे ऊर्जा
उत्पन्न होती थी जो
कि कम्प्यूटर के
आंतरिक
अंगो के लिए
हानिकारक थी । सन्
1958 मे
जैक किलबे ने
IC(integrated cercuit ) का
निर्माण किया । जिससे
कि वैज्ञानिको ने
कम्प्यूटर के अधिक से
अधिक घटको को
एक एकल चिप
पर समाहित किया
गया , जिसे सेमीकंडकटर कहा
गया, पर समाहित
कर दिया ।
जिसका परिणम यह
हुआ कि कम्प्यूटर अधिक
तेज एवं छोटा
हो गया ।
चतुर्थ पीढी के कम्प्यूटर
सन् 1971 मे बहुत
अधिक मात्रा मे
सर्किट को एक
एकल चिप पर
समाहित किया गया
। LSI (large scale integrated circuit
) VLSI(very large scale integratd circuit ) ULSI(ultra large scale integrated
circuit ) मे
बहुत अधिक
मात्रा मे सर्किट
को एक एकल
चिप पर समाहित
किया गया ।
सन् 1975 मे प्रथम
माइक्रो कम्प्यूटर Altair
8000 प्रस्तुत किया
गया ।
सन् 1981 मे IBM ने
पर्सनल कम्प्यूटर प्रस्तुत किया
जिसका उपयोग घर,
कार्यालय एवं विघालय मे
होता है ।
चतुर्थ पीढी के
कम्प्यूटर मे लेपटॉप का
निर्माण किया गया ।
जो कि आकार
मे ब्रिफकेस के
समान था ।
plamtop का
निर्माण किया गया जिसे
जेब मे रखा
जा सकता था
पंचम पीढी के कम्प्यूटर (वर्तमान से वर्तमान के बाद)
पंचम पीढी के
कम्प्यूटर को परिभाषित करना
कुछ कठिन होगा
। इस पीढी
के कम्प्यूटर लेखक
सी क्लार्क के
द्वारा लिखे उपन्यास अ
स्पेस ओडिसी मे
वर्णित HAL 9000 के समान ही
है । ये
रियल लाइफ कम्प्यूटर होंगे
जिसमे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस होगा
।
आधुनिक टेक्नॉलाजी एवं
विज्ञान का उपयोग करके
इसका निर्माण किया
जाएगा जिसमे एक
एकल सी. पी.
यू . की जगह
समानान्तर प्रोसेसिंग होगी । तथा
इसमे सेमीकंडकटर टेक्नॉलाजी का
उपयोग किया जाएगा
जिसमे बिना किसी
प्रतिरोध के विद्युत का
बहाव होगा जिससे
सूचना के बहाव
की गति बढेगी
।
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